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ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Abstract

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ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Abstract

मैं भूल चुका

मैं भूल चुका

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एक साथ पढ़ा था क्या ?

नहीं तो एक ही मंच पर

एक ही सीट में !

कतार में खड़े ऊबते वक्त 

अथवा किसी बस स्टोप में ?

नहीं तो

दूरभाष की निदेशिका में , नहीं ।

न्योता पानेवालों की सूची में

या फिर कभी

मदद पहुँचानेवाले लोगों के

महान दल में

ऐसा भी नही

आप

इस तरह ही थे ?

कभी किसी बात में

आपका नाम आया हुआ

याद नहीं ।

आप

सपनों के पुरुष के समान है

अंधकूप में गिरा व्यक्ति

गाड़ी का चालक

सागर के भी पहले

मुझे रोक रखा ।

वैसा वैसा

मुझे

लगता है

कि आपका नाम

भूलने के लिए हैं।

मैं गूँगा हूँ

ऐसा सोचना

सामने का एक उपाय

आप बहिरे हैं

उपाय दूसरा भी ॥


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