मैं और कविता
मैं और कविता
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क्या लिखना है ?
किसके बारे में कहना !
क्या क्या सोचना !
अंतरात्मा से
अगली कविता
क्या होगी ?
जानता कौन वह ?
किसी का नहीं पता
कोई भी न के बता सकता ।
मन कहता है मेरा '
कोई नहीं जानता
अगली कविता
अंतरात्मा से
क्या होगी ?
लिखने के लिए
मैं कविता
कुछ दिन सोचता रहा ।
लेकिन न मिला विषय
न आयी कविता '
मेरी अंतरात्मा से ।
कविता के शिकार में मैं गया
और
कविता मुझे भी
शिकार कर लिया ।
शिकार के बारे में
पहले लिखा ,
बाद में शिकार फल ।
फल था कविता विषय
मिला मुझे सर्जन का वक्त
मैं लिखता रहा ॥
