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Kamal Purohit

Abstract

4.5  

Kamal Purohit

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आज़ादी का सपना

आज़ादी का सपना

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भगत सिंह की ज्वाला ने जब आज़ादी का सपना देखा

लिया मौत को बाहों में तब और फाँसी का सपना देखा

लाखों ने चुपचाप सहा और थप्पड़ खाया था गालों पर

सत्य अहिंसा की राहों पर जब गांधी का सपना देखा


युद्ध करेंगे और जीतेंगे लड़कर आज़ादी पाएंगे

वीर सुभाष ने इक दिन ऐसा आज़ादी का सपना देखा

वीर जवाहर ने भारत का ऐसा नव निर्माण किया था

सबसे पावन भारत माँ की इस मिट्टी का सपना देखा


लक्ष्मी बाई ,मंगल पांडे, तांत्या टोपे और नाना ने

सत्तावन के पहले से ही आज़ादी का सपना देखा

यहीं कहीं है आज़ादी अब मिलकर हमसब ढूंढे इसको

लाखों ने मरने से पहले आज़ादी का सपना देखा


क्रांति दो तरह की होती बात जानते हैं यह सारे

दोनों ओर के लोगों ने बस आज़ादी का सपना देखा

तोड़ दिया हम सब ने अपने हाथों से वो प्यारा सपना

जो वीरों ने भारत माँ की अम्न ख़ुशी का सपना देखा।


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