कर्ण का वचन
कर्ण का वचन
महाभारत का युद्ध
था बहुत निकट
कुंती के लिए समय
था बड़ा विकट
युद्ध हुआ अगर तो
बड़ा अनर्थ होगा
पुत्र उसका धरती पर
एक भी शेष न होगा
जा पहुँची माता
करने कर्ण से भेंट
बोली सुनो कर्ण
तुम हो पांडव ज्येष्ठ
युद्ध करो तुम
दुर्योधन के खिलाफ
कर्ण हुआ अचम्भित
बोला ये कैसा इंसाफ
मुझे तो मृत मान
त्याग दिया था तुमने
अब कहती हो मुझसे
गलत कृत्य करने
उसकी मित्रता को
छल न सकूंगा
ये पाप करके मैं
कभी जी ना सकूंगा
हाथ जोड़ कर विनती
जब करने लगी माता
कर्ण का मन पिघला
बोला सुनो मेरी माता
दुर्योधन की तरफ से
ही युद्ध में लड़ूंगा
लेकिन वचन देता हूँ
अर्जुन से सिर्फ लड़ूंगा
तेरे छः बेटों में से सिर्फ
पांच ही रहेंगे
या तो रहेगा अर्जुन
या फिर हम रहेंगे
इससे ज्यादा मुझसे
कोई उम्मीद ना रखना
लेकिन बदले में तुम
मुझको एक वचन देना
मेरे अंत समय तक
हमारे रिश्ते को छुपाना
मेरी मृत्यु तलक
किसी को न बताना।
