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Jeetal Shah

Abstract

4  

Jeetal Shah

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बच्चे की जुबानी

बच्चे की जुबानी

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बढ़ती उम्र के साथ ,

बहुत कुछ बदल जाता है,

ये समय एक रेत की,

तरह फिसलता चला जाता है,


बच्च पन से लेकर,

बुढ़ापे तक का सफर,

कहीं छुप जाता है,

मन के सच्चे हम,



चाचा नहेरू के राज़

दुलारे हम,

पर ईश्वर के लिए

तो हम एक

बच्चे ही है।


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