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Jeetal Shah

Abstract

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Jeetal Shah

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प्रेम

प्रेम

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प्रेम एक सुबह है 

तो प्रेम एक शाम है,

प्रेम से मुलाकात ही 

प्रेम का नाम है !

प्रेम एक छांव है 


तो प्रेम चारों धाम है,

प्रेम एक तृष्णा है 

तो प्रेम शब्द बाण है !

प्रेम ही अर्पण त्याग, 

श्रद्धा से बलिदान है,


प्रेम ही ज्ञान, विज्ञान 

व मन्त्र का विधान है !

प्रेम की परिभाषा में 

संगीत, अनु-राग है,

प्रेम तो सीख हे


और सर्वस्व निर्वाण है !

प्रेम ही तो बांसुरी की 

मधुर मीठी तान है,

प्रेम की अमर कहानी 

प्रेम का प्रमाण है !


प्रेम ही छंद, ताल 

और नयनों का संवाद है !

प्रेम एक गजल, दोहा,

सवैया, अलंकार है,

प्रेम ही दिव्य दृष्टि,


राधे-श्याम का नाम है !

प्रेम ही उपासना 

और प्रेम भक्ति भाव है...

प्रेम ही है सुंदर मन ...

प्रेम ही निज धाम है.....


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