प्रेम
प्रेम
प्रेम एक सुबह है
तो प्रेम एक शाम है,
प्रेम से मुलाकात ही
प्रेम का नाम है !
प्रेम एक छांव है
तो प्रेम चारों धाम है,
प्रेम एक तृष्णा है
तो प्रेम शब्द बाण है !
प्रेम ही अर्पण त्याग,
श्रद्धा से बलिदान है,
प्रेम ही ज्ञान, विज्ञान
व मन्त्र का विधान है !
प्रेम की परिभाषा में
संगीत, अनु-राग है,
प्रेम तो सीख हे
और सर्वस्व निर्वाण है !
प्रेम ही तो बांसुरी की
मधुर मीठी तान है,
प्रेम की अमर कहानी
प्रेम का प्रमाण है !
प्रेम ही छंद, ताल
और नयनों का संवाद है !
प्रेम एक गजल, दोहा,
सवैया, अलंकार है,
प्रेम ही दिव्य दृष्टि,
राधे-श्याम का नाम है !
प्रेम ही उपासना
और प्रेम भक्ति भाव है...
प्रेम ही है सुंदर मन ...
प्रेम ही निज धाम है.....
