Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kamal Purohit

Abstract

4.5  

Kamal Purohit

Abstract

कैकयी की व्यथा

कैकयी की व्यथा

1 min
275


कर रही हूँ गुहार।

सुनो मेरे पुत्र राम !

मैंने क्या ग़लत किया ?

जो तूने लिखा था।

मेरे भाग्य का हिस्सा !


मैंने वही तो किया, 

फिर भी मुझको

ताने देती दुनिया 

क्या है मेरा गुनाह ? 


बताओ सारे जगत को,

नहीं भेजती तुमको 

अगर मैं वनवास 

क्या हो सकता था 

रावण का सर्वनाश ?


क्या कहला पाते 

तुम मर्यादा पुरुषोत्तम ?

ये जीवन तूने दिया। 

इस मिट्टी के शरीर में 

प्राण भी तेरे बसे। 

फिर कोई सही कैसे ? 


फिर कोई गलत कैसे ? 

सब तेरी ही माया है।

जग तुझमे समाया है।

मुझसे क्या भूल हुई ?

या कोई अपराध हुआ ? 


मेरे सर पर सदियों से 

जो ये पाप का भार है।

उसे मिटाओ मेरे राम !


कह दो आज जगत से,

मुझे न करे यूँ बदनाम 

पुत्र मोह में अकारण ही 

मुझसे ये कृत्य हुआ।


माँ की ममता समझो,

नहीं तो फिर कभी कोई 

कैकयी जन्म नहीं लेगी

और न फिर रामायण बनेगी।


Rate this content
Log in