STORYMIRROR

Shravani Balasaheb Sul

Abstract

4  

Shravani Balasaheb Sul

Abstract

एक परी

एक परी

1 min
260

खुबसूरती की मिसाल हैं जो, स्वरुप हैं जिसका देवी जैसा

हर घर में देखो एक परी हैं, सार हैं उसका ओवी जैसा

पंखों सरीखा आंचल उसका, हर सुकून से परे हैं

सारे गम खुशी से, उसी किनार तो ठहरे हैं


आंसुओं में मोती दिखाती, हर मुश्किल आसान कर देती हैं

न जाने कौनसी जादू की छड़ी, छुपाके अपने पास रखती हैं

नहीं पढ़ी ज्योतिषविद्या , फिर भी सब जान जाती हैं

न जाने कैसे बिन शब्दों के, मन की भाषा समझ पाती हैं


दिल के अदृश्य ज़ख्म भला, कैसे देख लेती हैं वह

जादू ही हैं नज़र उसकी, जो सब कुछ देख लेती हैं वह

वह हैं तो जान मे जान हैं, 

वह अस्तित्व का सम्मान हैं

हां.. परी हैं सौगात हैं, 

मां ईश्वर का वरदान हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract