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Meena Mallavarapu

Abstract Inspirational

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Meena Mallavarapu

Abstract Inspirational

अंतराल

अंतराल

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एक अंतराल के बाद मिले दो जिगरी दोस्त

 सोचा था कि आ जाऐंगे वह दिन वापस फिर

 जब दिल की बात कहे बगैर न पड़ता था चैन

जब आंसुओं के आते ही आ जाती उसकी याद

जब खुशी कर देती निहाल तब आती उसी की याद


मुश्किलों का हो दौर या हो जशन का सुरूर

तब आती थी अनायास ही उसकी याद

एक अंतराल के बाद आज

मिले तो हैं फिर से हम

मीलों की दूरी का हो रहा है अहसास

 पुराने मीठे पल आज भी हैं भाते

 पर जैसे बंद हों एक सोने के पिंजरे में


 क्या वही दौर कभी आएगा वापस

 सालों की दूरियां लांघ कर ?

क्या दोस्ती का फर्ज निभा दिया मैंने

 या है यह मेरी छोटी और खोटी सोच

 विडंबना जीवन की या उसकी सच्चाई ?


 राहें जब हो जाती हैं जुदा

 नई राहें ,नए दोस्त, नए रिश्ते

 पोत देते हैं कितने ही नए रंग

बीती बातों पर, गुज़रे लम्हों पर

गुज़र गया एक अंतराल

बिछुड़ गए दो जिगरी दोस्त।


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