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saru pawar

Others

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saru pawar

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अब बरस भी जा..

अब बरस भी जा..

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इन बिखरे बिखरे बादलों को भी 

इंतजार,बरसने का है

ओ भी बारिश की राहों में

रंग बिखेरे बैठे हैं..

तपिश है इसी इंतजार की शायद..

जमी पे लू झुलसा रही है


आजा के अब बरस भी जा

खत्म हो ए -इंतजार..

ए सुकून ए-बूँद !!



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