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Rishab K.

Abstract Romance

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Rishab K.

Abstract Romance

सुकूते सेहरा

सुकूते सेहरा

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Female :

मुखड़ा :

नज़र मिली है नज़र से ऐसे कि दिल की धड़कन बढ़ा गई है

तुम्हारे आने से ख़्वाब जागे, बहार सेहरा पे छा गई है


Male:

मुखड़ा :

नज़र तुम्हारी उतर के दिल में , हज़ारों अरमाँ जगा गई है

मैं अंदर अंदर पिघल रहा हूँ ये आग कैसी लगा गई है


अंतरा 1 :

नवाज़िशें हैं , गुज़ारिशें हैं, सिफारिशें हैं, इनायतें हैं

तुम आए जब से, हमारे दिल में , मुहब्बतें ही मुहब्बतें हैं


अंतरा 2: 

सुकूते सेहरा में दिल ने छेड़ा, फ़साना अपनी मुहब्बतों का

चराग़ राहों में जल उठे हैं, ख़ुमार छाया है चाहतों का।


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