हलवा है क्या?
हलवा है क्या?
किसी के गम का मरहम होना
हलवा है क्या?
किसी के धुन का सरगम होना
हलवा है क्या?
आंसू तो हर कोई दे सकता है आंखों मे मगर
उस भीगी आंखों को पोछना फिर उनमें मुस्कान लाना,
हलवा है क्या?
इश्क़ विश्क प्यार व्यार तो सब करते हैं,
मोहब्बत को इबादत समझना
और उस इबादत में खुदा को पाना,
हलवा है क्या?
राह चलते बदमाश से तो कोई भी भीड़ सकता है,
सरहद पर आतंकी से भिड़ना
फिर उसके तोपों को अपने सिने से चुप कराना,
हलवा है क्या?
ईमान धरम मंदिर मस्जिद तो होता रहेगा
इन सब के बीच इंसान बने रहना
और इंसानियत को बचाना
हलवा है क्या?
किसी के चेतन से प्रेम कर के राधा बन जाना
कोई नई बात नहीं।
परन्तु किसी के चेतना प्रेम कर के मीरा बन जाना
हलवा है क्या?
मेरा मेरा कर के प्रांत विभाजन करना
फिर उस प्रांत पर जबरन राज करना
यही हो रहा आज कल।
पर भाषा, वर्ण, धर्म, जाती, कुल, सीमा
सब से परे हट कर एक मातृभूमि के लिए
राज ना करते हुए भी छत्रपति बन जाना
हलवा है क्या?
