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Rishab K.

Abstract Tragedy Inspirational

4  

Rishab K.

Abstract Tragedy Inspirational

तरक्की।

तरक्की।

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तरक्की तरक्की तरक्की करते हो
क्या मोल है इस तरक्की का।
अगर किसी की कुर्बानी है,
तो इस मोल पर तरक्की नहीं चाहिए।।
जो हमारी छोड़ी हुई सांस को खींच कर
हमें अगली सांस की हवा देती है,
अगर उसको काट कर तरक्की आती है,
तो इस मोल पर तरक्की नहीं चाहिए।।
संसार बनाया किसी और ने,
चलाता कोई और है
अगर उसको उजाड़ कर तरक्की आती है,
तो इस मोल पर तरक्की नहीं चाहिए।।
बनाने वाले ने जानवर, इंसान दोनों बनाया
एक को कमजोर, एक को बेहतर बनाया
इस आस में की बेहतर करेगा, कमजोर की सुरक्षा अगर तरक्की के लालच में,
कमजोर की हत्या करनी पड़ रही है
तो इस मोल पर तरक्की नहीं चाहिए।।
खुद का घर बनाने, कारोबार बढ़ाने के लिए
अगर दूसरे जीव का घर जलाना पड़ रहा है
खुद की भूख मिटाने के लिए, स्वाद बचाने के लिए दूसरे की बलि देनी पड़ रही है
तो इस मोल पर तरक्की नहीं चाहिए।।
कमजोर को खाने वाले बेहतर,
जानवर को बेघर करने वाले इंसान
याद रखना कमजोर की हाय, बददुआ लग जाती है अगर उसकी हाय बददुआ से तरक्की बड़ी है
तो इस मोल पर तरक्की नहीं चाहिए।।
साथ में मिल कर जीने का मजा ही कुछ और है
धरती पर अपने जितना हक़ उनका भी है
अगर उनके हक़ को कुचल कर तरक्की सोचते हो,
तो इस मोल पर तरक्की नहीं चाहिए।।


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