सफर
सफर
मैं डूब जाऊंगी मुझे पता है
तुमको याद आऊंगी मुझे पता है
इन आंसुओं को बचाकर रखना
मैं फिर जन्म लूंगी मुझे पता है
ख़्वाब में लिख तुम्हें आखिरी ख़त
यह दर्द नहीं छोड़ेगा मुझे पता है
हज़ार कीलें भोंकी गई है मुझमें
अब नासूर ज़ख़्म है मुझे पता है
मैं आज आईने को तोड़ दूंगी
नहीं दिखूंगी इसके बाद मुझे पता है
तुम मुझसे नाराज़ रहना ताउम्र
फासला तय करूंगी मुझे पता है
ज़माने में दोजक है इश्क की आग
मैं भी सरेआम जलूंगी मुझे पता है
मेरे जाने के बाद सबकुछ ख़ाक करना
अगले जनम तुमको मिलूंगी मुझे पता है
मेरे दिल के सौ टुकड़े करके बहाना
मिले टुकड़े तो तूफ़ान होगा मुझे पता है
इस जिस्म को ऐसे जलाना, मेरे
दोबारा सांस न आए मुझे पता है
सभी प्रेम पत्र सागर के हलक ले जाना
रेत के दरिया से मिलना मुझे पता है
मैं अपने सारे दर्द मिटा दूंगी, आज
जो तड़पन का निशान मुझे पता है
खामोशी ने लहू भर दिया, आंखों में
अब आज़ादी की राह मुझे पता है
जीते जी रिश्तों ने खूब लूटा है
मरने के बाद रोएंगे मुझे पता है
मुमकिन हो तो रोक लेना खुद को
मेरे शहर की आखिरी धूप मुझे पता है
जिस्म ख़त्म होगा रूह में ताज़गी रहेगी
यह इश्क सरहद पर है मुझे पता है
लाख़ बुराई मुझमें, अच्छी इंसान थी
तमाशा बना है बहुत मुझे पता है
मेरा मुझसे सबकुछ आज़ाद होगा
"रिषि" आख़िरी सफ़र है मुझे पता है।।
