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Rishab K.

Abstract Romance

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Rishab K.

Abstract Romance

बारिश।

बारिश।

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दिल तो करता था, स्कूल में उसके साथ 

बरसात में भीग जाने को।

लेकिन सर कहते थे, बड़ा होने के लिए

उससे दूर हो जाने को।

किस की सुनूं में, सर की या दिल की?

इसी द्वंद्व में मन ढह गया था,

और उसके साथ बारिश में भीगने का ख़्वाब 

बारिश में बेह गया था।

अब तो उसकी भी शादी हो गई है,

जीवन में उसकी आबादी हो गई है,

आज कल वो भी सावन में भीगती होगी,

अपने पति के साथ कितनी हस्ती होगी।

और मेरी कविता पढ़ती होगी, फिर ये सोचती होगी,

कभी भीगती हूं, कभी पढ़ती हूं 

फिर ये खयाल दिल में गढ़ती हूं।

उसका सच्चा प्यार उसको मिलना चाहिए था,

और एक बार उसके साथ बारिश में भीगना चाहिए था।।


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