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Amlendu Shukla

Abstract

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Amlendu Shukla

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हो गया है बहुत

हो गया है बहुत

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सादर नमन 


हो गया है बहुत अब न ढाओ कहर,

देखो तुमको बुलाता ये पूरा शहर,

तुम न सोचो हवा में यूं उड़ जाओगे,

बिन यहां आए तुम भी न रह पाओगे,


धरा ही नियति में तुम्हारी लिखी,

यहां आये बिन तुम कहां जाओगे,

पर अभी तो सभी ही बुलाते तुम्हें,

इसलिए बिन किए देर आ जाओ तुम,


हो चुका है बहुत अब बरस जाओ तुम,


शबनमी होठों को है दरकार तेरी,

सांसें भी सबकी हैं सरकार तेरी,

शेष है प्यास अब तक बुझा दो उसे,

सूखता कंठ है अब बचा लो उसे,


जानते हैं सभी तुम आओगे एक दिन,

घटा अपनी काली बिछाओगे एक दिन,

पर देखो समय ये कहीं चल न जाये,

इसलिए बिन किए देर आ जाओ तुम,


हो चुका है बहुत अब बरस जाओ तुम,


मिल लो सूरज से भी रोकता न कोई,

प्यार सूरज से भी तो है तुमको बहुत,

पर भुलाओ नहीं प्यार धरती का तुम,

प्यार ये भी तो करती है तुमको बहुत,


सूर्य की है अवधि एक चला जायेगा,

और पछताना तुमको ही रह जायेगा,

पर ये धरती यहीं की यहीं पर है रहती,

तेरे प्यार में दर्द लाखो है सहती,


है सम्मान उसका बचा जाओ तुम,

इसलिए बिन किए देर आ जाओ तुम,

हो चुका है बहुत अब बरस जाओ तुम।


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