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लेकर छोटी सी काया, तू बढ़ा सदा न घबराया, लेकर छोटी सी काया, तू बढ़ा सदा न घबराया,
जो लालच, स्वार्थ की खातिर,खुद ही में रह जाये कैसे किसको कोई कह दे अपने और पराये। जो लालच, स्वार्थ की खातिर,खुद ही में रह जाये कैसे किसको कोई कह दे अपने और परा...
निकले नहीं घरों से हम, हर काम घरों से निपटाएं। जब बहुत जरूरी ही हो जाये, तब जाकर कहीं निकले नहीं घरों से हम, हर काम घरों से निपटाएं। जब बहुत जरूरी ही हो जाये, तब ज...
बहुत रुलाया इंसा तूने,अब यह तुमको रुला रही है। बहुत रुलाया इंसा तूने,अब यह तुमको रुला रही है।
जो दुनिया बनाई है तूने प्रभू, हो गया क्या उसे मैं समझता नहीं। जो दुनिया बनाई है तूने प्रभू, हो गया क्या उसे मैं समझता नहीं।
तिल की खुशबू आ रही महक रहे गज़क सभी तिल की खुशबू आ रही महक रहे गज़क सभी
नया साल आ करके भी, कुछ नया नहीं ला पाया है बीत रहा जो साल आज,वैसा ही फिर एक आया है। नया साल आ करके भी, कुछ नया नहीं ला पाया है बीत रहा जो साल आज,वैसा ही फिर एक आ...
मैं कहता हूँ चाय पियो तुम मैं कहता हूँ चाय पियो तुम
सोच रहा था मैं भी कुछ गीत लिखूँ शृंगार की। सोच रहा था मैं भी कुछ गीत लिखूँ शृंगार की।
क्या कल्पना के मात्र से, हासिल किसी को कुछ हुआ है। आसमाँ के जद की इच्छा, गर हमारे दि क्या कल्पना के मात्र से, हासिल किसी को कुछ हुआ है। आसमाँ के जद की इच्छा, ...