प्यार की कश्ती
प्यार की कश्ती
प्रेम हैं जितना पावन , प्रेमी जन की उतनी प्यारी हस्ती सा ,
संसार हैं एक गहरा सागर सा ,प्रेम हैं इसकी कश्ती सा ।।
प्रेम में रंगा है जग सारा ये ,जिस रंग रंगे हैं ये " राधे-श्याम " सा ,
प्रेम बंधन हैं सबसे पावन सा ,जो आवे " श्याम " से पहले " राधे " नाम का ।।
हर बालक में "मोहन" बसते, " राधा " हर बाला में बसती ,
संसार हैं एक गहरा सागर ,प्रेम हैं इसकी कश्ती ।।
हैं ना कोई पतवार बना जो, इस कश्ती को रोके ,
जाने कितने डूब चुके है ,ना जाने कितने डुबेंगें नौके ,
दो मन ऐसे बंध जाते हैं ,जैसे बंधी हो तन से रस्सी का ,
संसार हैं एक गहरा सागर ,प्रेम हैं इसकी कश्ती का ।।
