संस्कारों से प्रकाशित हो रहा जग सारा.....
संस्कारों से प्रकाशित हो रहा जग सारा.....
सबके घर आज झुम उठा है ये आंगन दीप जलें ,
सबके मन /हृदय हो गया वो उजियारा
व्यवहार , विचार, सभी के शुभ हों रहा जग सारा ,
समस्त जग हो , फिर से न्यारा / मन प्यारा
सरल / उदार यदि सारा समाज हो रहे,
न रहे, न कोई भी इस संसार मे वो दुखियारा
समता / ममता की ज्योति मे जले तो,
संस्कारों से प्रकाशित हो रहा जग सारा
कर्म, कथन, आचरण से शुद्ध हों यदि,
मानव मन बनें गंगा _यमुना की ये धारा
जो सब निज निज अपना दायित्व निभाएं,
सुख / आनंद मय हो जाये विश्व हमारा
दीपोत्सव , उज्वल , प्रकाश का ये प्रतीक
दिव्य , प्रभा , मय हो जाये ये भारत हमारा
राम से संस्कार, मां लक्ष्मी का ये वैभव ,
तो मिटे जीवन का घना सा ये अंधियारा
