बीती बातों को तुम जाने दो
बीती बातों को तुम जाने दो
बीती बातों को तुम जाने दो
क्यों तुम रोते रहते हो
मन ही मन कितना कुछ कहते रहते हो
जो हो रहा है हो जाने दो
ये साहस है बड़ी अनमोल धरोहर तो
जिसके पास रहता ये साहस है
वह न कभी टूटता ये कांच सा है
टूटे भी हो कहीं तुम तो
वक्त की आज पर खुद को जुड़ जाने दो
बीती बातों को तुम जाने दो
तुमको भी तूफानों से लड़ जाना है
उस चट्टानों से अड़ जाना है
और नहीं कुछ बस तुमको यूं बढ़ते जाना है
मंजिल से पहले ठहरना नहीं बस चलते रहना है
बहकना नहीं उस मन के पंछी को उड़ जाने दो
वो बीती बातों को तुम जाने दो
