STORYMIRROR

Kavita Sharma

Abstract

4  

Kavita Sharma

Abstract

बारिश

बारिश

1 min
29


बारिश की फुहारें रिमझिम बरसतीं हैं 

कुदरत की खुशी देखो डालियों के झूमने से दिखती है 

पक्षी चहचहाकर इधर-उधर फुदकते है

बच्चों की टोली इंतजार में रहती है 

कागज़ की नाव बनाकर पानी में तैराना 

इस खेल में उन्हें बड़ा आनंद है आता 

गड्ढों में जब मुसलाधार बारिश से पानी है भर जाता 

उसमें छपाक कूदकर मन कैसा खिलखिलाता 

बच्चों की दुनिया है बड़ी ही मस्त मौला 

हर मौसम में उन्होंने खुशी ढूंढ लेना है सीखा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract