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Kavita Sharrma

Abstract

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Kavita Sharrma

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बारिश

बारिश

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बारिश की फुहारें रिमझिम बरसतीं हैं 

कुदरत की खुशी देखो डालियों के झूमने से दिखती है 

पक्षी चहचहाकर इधर-उधर फुदकते है

बच्चों की टोली इंतजार में रहती है 

कागज़ की नाव बनाकर पानी में तैराना 

इस खेल में उन्हें बड़ा आनंद है आता 

गड्ढों में जब मुसलाधार बारिश से पानी है भर जाता 

उसमें छपाक कूदकर मन कैसा खिलखिलाता 

बच्चों की दुनिया है बड़ी ही मस्त मौला 

हर मौसम में उन्होंने खुशी ढूंढ लेना है सीखा।


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