पहले सिर्फ़ तन भीगा करता था अब रूह को मेरी भिगोया है, ऐ बारिश पहले सिर्फ़ तन भीगा करता था अब रूह को मेरी भिगोया है, ऐ बारिश
वक़्त एक ऐसा खेल है जिसे चाहो ना चाहो खेलना ही पड़ता है वक़्त एक ऐसा खेल है जिसे चाहो ना चाहो खेलना ही पड़ता है
प्रेम के अंकुर नहीं वो, कल्पवृक्ष होंगे अपने अंश के प्रेम के अंकुर नहीं वो, कल्पवृक्ष होंगे अपने अंश के
स्नेह की फुहार से अन्तर्मन तक नहला देतीं और प्रेरित करती जीवन को अंक में भर लेने को स्नेह की फुहार से अन्तर्मन तक नहला देतीं और प्रेरित करती जीवन को अंक मे...