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Sarika Bansode

Fantasy

3  

Sarika Bansode

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प्रेम के फूल

प्रेम के फूल

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रिमझिम बारिश बनकर कभी 

आओ हमसे मिलने के लिये, 

बरसों के सूने मन के आँगन में 

प्रेम के फूल खिलाने के लियेI

हाथों में हाथ पकड़कर हम 

जाएंगे उस गलियों में साथी 

जिस की पिंड पर कभी 

किसी खुशी की बौछारें गिरी नहीं 

मिलते हैं उसी मिट्टी में हम 

नये रूप में उगने के लिये 

बरसों के सूने मन के आँगन में 

प्रेम के फूल खिलाने के लिये I


प्रेम के अंकुर नहीं वो,

कल्पवृक्ष होंगे अपने अंश के 

समा लेंगे सबको खुद में 

चाहे हो वो किसी भी मुल्क के 

मोहब्बत में बांधेंगे सबको 

मोहब्बत सीखा ने के लिये 

बरसों के सूने मन के आँगन में 

प्रेम के फूल खिलाने के लिये I

रिमझिम बारिश बनकर कभी 

आओ हमसे मिलने के लिये, 

बरसों के सूने मन के आँगन में 

प्रेम के फूल खिलाने के लिये I



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