वक्त की करवट
वक्त की करवट
अथाह सागर सा गहरा एवं मूल्यवान,
है गजब इसके करतब निराले,
जब लेता करवट, नहीं मालूम होता,
जिसपर होता आशीष ईश्वरीय,
अनजान ही रहता, निर्भय होकर रहता।
धराशाही होते देखें, हमने बड़े बड़े दिग्गज,
अकस्मात ही भोर होना, पक्षियों का चहचहाना,
पशुओं का दाना ढूंढना और कलरव करना,
सभी है खेल निज व्यवहार के,
वक्त करवट ले तो गहरे पानी में डूबतीं कश्तियां,
कहां अभी गानों के शोरों से मस्ती में मदमस्त हैं।
वर्तमान समय को सुधार , भविष्य करता तैयार,
परीक्षा लेता ऐसी, सिखा जाता सब ही,
विनम्रता और सहृदयता कितनी हैं,
पैसा तो है पर सेहत कितनी परख लेता सब,
सबक नित नए दें देता है वक्त।
