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Parul Jain

Action Classics Inspirational

4  

Parul Jain

Action Classics Inspirational

प्राकृतिक सौंदर्य

प्राकृतिक सौंदर्य

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ये कल-कल करती बहती नदियां,

ये दूर तक फैले हिन्द महासागर,

इन सागरो में मिलता छोटा तालाब,

कितना प्यारा है ये संगम नायाब


जैसे कह रहा हो निश्छल हो आगे बढ़,

कभी बहुत है आयाम।

ये बिंदास चकाचौंध से जगमगाते शहर,

ऊंची ऊंची इमारतें , और उसमें बसे ढ़ेरों घर,

लिए हुए जमावड़ा, जिनमें हंसते, नाचते,गाते

बोलते होता है वक्त खत्म।


वहीं दूसरी ओर ऊंचे खड़े हैं छायादार पेड़,

लादकर ढ़ेरों फल , खुद में होते हैं बड़े ये पेड़

जीवन के लिए देते हैं शुद्ध हवा और भोजन,

ना कोई लालच अथवा प्रलोभन,

बस मांगा है एक पेड़, और दो जन,


उगाओ और बढ़ाओं, है नहीं इतना मुश्किल,

कोशिश तो करो, जुड़ जाएंगी महफ़िल।


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