परछाई की तरह
परछाई की तरह
काश! रह सकूं तेरे साथ
मैं ज़िंदगी के हर पल,
उस परछाई की तरह,
जो रहती है तुम्हारे साथ
कभी आगे तो कभी
पीछे छुपकर,
पर रहती है हमेशा उम्र भर।
एक ऐसे साथी की तरह
जो किसी को दिखता तो नहीं,
पर होता जरूर है,
जिसका अस्तित्व तुम्हारे बगैर
कुछ है ही नहीं,
जो बस तुम्हारे साथ है, जो तुम में है
और बस तुम्ही से है..

