इसे प्यार कहूं या फॉर्मेलिटी
इसे प्यार कहूं या फॉर्मेलिटी
इसे प्यार कहूं या फॉर्मेलिटी,
तुम आज भी मुझसे , रूहानी मोहब्बत करते हो।
हर पल देखते हो मेरे व्हाट्सएप का लास्ट सीन।
इंस्टा स्टोरी, फेसबुक पोस्ट, लाइक, कमेंट और फ्रेंड लिस्ट।
जैसे ये कोई तुम्हारे लिए हो ड्यूटी।
इसे प्यार कहूं या फॉर्मेलिटी।।1
तुम पूछते हो मेरा अच्छा बुरा, पड़ोस वाली सीमा से।
मेरे साड़ी वाले फोटो पर करते हो लव रिएक्शन,
फिर इशारों से घुमाफिरा के देते हो अच्छा सजेशन।
अब तुम खुद ही कहो में,
इसे प्यार कहूं या फॉर्मेलिटी।।2
तुम सोचते होगे, में बहुत मतलबी लड़की हूं,
हां, ये भी सही है।
तुम तो अच्छे से जानते , समझते हो मुझे।
मेरा प्यार, गुस्सा, लड़कपन और डर को
अपने सीने पर दबा कर,
मुझे अमावस में भी तुम हाथ पकड़ कर
आसमान में चांद दिखाते हो।
मालूम नहीं ये किस तरह की मेंटालिटी
इसे प्यार कहूं या फॉर्मेलिटी।।3
में हॉस्टल में जब अकेली थी,
तो रात रात भर जाग कर
फोन से ऑनलाइन रह कर,
मुझे मेरी पसंद की कहानी
सुना कर सुला देते थे।
ये तुम्हारा था अलग पर्सनेलिटी,
या फिर
इसे प्यार कहूं या फॉर्मेलिटी।।4
कभी कभी सोच कर मुस्कुरा लेती हूं,
पता नहीं चला कैसे तुम्हारे साथ सात साल बीत गए।
लेकिन बस तीन महीने की दूरी ने
रिश्तों की कहानी में पूर्णविराम लगा दिए।
गलतफहमी के दरिया में रोज डूबती उभरती हूं,
फिर किनारे पर खुद को अकेला पाती हूं।
लेकिन तुम कुछ समझते नहीं बात,
सोचते हो,
खुश हूं में किसी ओर के साथ।
ये तो सरासर है पार्सियलीटी
इसे प्यार कहूं या फॉर्मेलिटी।।5
कोई मैसेज नोटिफिकेशन जब भी आता है,
तुम ही होगे, है बार समझती हूं में।
पर कड़वी सच्चाई तो यही है की
में हूं तुम्हारे ब्लैकलिस्ट मे।
क्या प्यार उस दिन जो सिखाया था,
और आज बेवफाई के आग में
तिल तिल कर जला दिया ?
फिर भी सोचती हूं, तुम आओगे
मुझे अपने सीने से लगा कर प्यार से कहोगे
छोड़ो पगली,
ये जन्म क्या , अगले सात जन्मों के लिए में
सिर्फ तुम्हारा हूं।
ये कैसी उलझी हुई अजीब है मेरी रियलिटी,
इसे प्यार कहूं या फॉर्मेलिटी।।6

