" फिर जी लेते हैं "
" फिर जी लेते हैं "


चल फिर जी लेते हैं गुजिश्ता लम्हों को..
तुम समेट लेना मुझे अपनी बाँहों में..
मैं पिघल जाऊं तुम्हारी आगोश में..
चल फिर सँवार लेते हैं खुद को..
तुम बरस जाना मुझ पर बारिशों की तरह..
मैं समा जाऊं तुम में नदियाँ की तरह..
चल फिर जी लेते हैं गुज़िश्ता लम्हों को..!