तुमने मुझे कहा
तुमने मुझे कहा
तुमने मुझे कहा ये तो बताओ सनम !
ये धूप इतना ठंड क्यों लगता है ?
दर्द सारे मीठा क्यों लगते है ?
हर पल दिल मेरा किसी के इंतजार में
बेताब क्यों रहता है ?
सबकुछ इतना सुहाना क्यों लगता है ?
जैसे की हर दिन होली ! हर दिन दिवाली !
और हर दिन चल रहा है जैसे मौसम ए बहार .......
मैने कहा जानेमन !
तुम सचमुच प्यार में हो
प्यार में किसी के कानून चलता है कहां ?
वो तो अपना कानून चलाता है
धूप को वो छांव में तब्दील कर सकता है
और दर्द को भी मीठा अहसास में ....!