अब इंतज़ार मत करो
अब इंतज़ार मत करो
हे कह रहा, ये सारा जग,
तूझमें असीम शक्ति समायी है।
इसमें रिश्तों की बिसात ही क्या,
सम्पूर्ण सृष्टि तेरी परछाई है।
फिर क्यूँ कमजोर है, अपने लिए,
आज जरा ये चिंतन करों,
अपने सपनों के खातिर
अब इंतज़ार मत करो।
जग का अपना क्या है भला ?
जो कुछ पाया, तूझसे पाया।
करें कल्पना भी आज अगर,
कोई तेरे बिना कहाँ है, चल पाया।
यही है महज एक सोच यदि,
कि,सम्मान की तू अधिकारिणी हैं
तो चलो आज आगे बढकर
खुद अपना सम्मान करों,
अपने सपनों के खातिर,
अब इंतज़ार मत करो।
हैं आत्मरक्षा की चाह तूझे,
फिर याद भला क्यूँ इतिहास नहीं
तलवारों की झंकारो के बीच यहाँ,
क्या जौहर की इसमें बात नहीं।
तू कहती है, जमाना बदल गया
तेरी सूरत कहाँ फिरभी बदल पाया,
वो तेरी रक्षा भला क्या कर पायेगा,
जो अब तक तूझे ना समझ पाया
शस्त्र उठाओं अब धीर मत धरों
अपने सपनों के खातिर
अब इंतज़ार मत करो।
अपनी शक्ति से अनजान तू
क्यूँ कमजोर कहलाती है ?
बल पर अपने दो हाथों के,
हर रिश्ता समर्पण से निभाती हैं
क्यूँ सूनी विरान सी है दुनियां तेरी
क्यूँ अस्तित्व का तुझको भान नहीं,
कदम बढाकर अपनी दुनियां में
नयी उमंगों के तुम रंग भरों,
अपने सपनों के खातिर
अब इंतज़ार मत करो।
