बचपन भी क्या खूब होता है
बचपन भी क्या खूब होता है
बचपन भी क्या खूब होता है,
शैतानी का अवतार होता है,
न किसी का रोकना टोकना,
चारो ओर आनंद ही होता है.
बचपन भी क्या खूब होता है...
छुट्टीयो मे नानी के घर जाना,
वर्षात के पानी मे खेलते रहना,
लुका छिपी खेल मे विस्तर मे छिप जाना,
वो मीठा सा अहसास देता है,
बचपन भी क्या खूब होता है....
दोस्ती का मतलब पता नहीं होता,
मतलब की दोस्ती कोई किया ना होता,
ना कोई छोटा ना बड़ा कोई आपस मे,
हर कोई दिल का अजीज होता है,
बचपन भी क्या खूब होता है...
हर मेले से खेल खिलोनो का लेना,
कागज की किश्ती को पानी मे चलाना,
कभी गिल्ली डंडा तो कभी क्रिकेट का फुमार,
हर वो पल सबसे मधुर होता है,
बचपन भी क्या खूब होता है...
वो राजा - मंत्री - चोर - सिपाही का खेल,
वो कैरम की गोटी और खो -खो का मेल,
ना चिंता किसी बात की ना द्वेष बैर किसी से,
वो सुनहरा पल बड़ा याद आता है,
बचपन भी क्या खूब होता है...।