बहुत दूर तक हम चले आए तन्हा, गर इस सफर में खताएँ ना होती। बहुत दूर तक हम चले आए तन्हा, गर इस सफर में खताएँ ना होती।
वो सुनहरा पल बड़ा याद आता है, बचपन भी क्या खूब होता है...। वो सुनहरा पल बड़ा याद आता है, बचपन भी क्या खूब होता है...।
हाथों से मारती है तमाचे से गाल पर। हम रख नहीं पाये हैं उसी को सँभाल कर। हाथों से मारती है तमाचे से गाल पर। हम रख नहीं पाये हैं उसी को सँभाल कर।
बागों में जहाँ हरियाली हो, नाच रही कोई मतवाली हो। बागों में जहाँ हरियाली हो, नाच रही कोई मतवाली हो।
कागज़ की किश्ती से पूछती हूं, क्या अब भी आयेंगे बादल घनेरे, कागज़ की किश्ती से पूछती हूं, क्या अब भी आयेंगे बादल घनेरे,
एक तरफ से शान्त सा आता पानी का बहाव दूसरी तरफ भंवर का रूप ले लेता था एक तरफ से शान्त सा आता पानी का बहाव दूसरी तरफ भंवर का रूप ले लेता था