कथाएँ ना होतीं
कथाएँ ना होतीं
बहुत चोट खाई, बहुत राते काटी,
अकेले सफर में, पनाहें ना होती।
वो कहते थे छोड़ेंगे तुमको कभी ना,
हम ना फिसलते जो बाहें ना होती।
नजरें कभी हम ना तुमसे चुराते,
जो बेवफा ये निगाहें ना होती।
समुन्दर से गहरा मेरा प्यार यारब,
ख़ामोशियों की सदाएं ना होती।
डूबे जो किश्ती किनारे किनारे
दरिया को कोई सजाएँ ना होती।
बहुत दूर तक हम चले आए तन्हा,
गर इस सफर में खताएँ ना होती।
अफसाने मेरे बड़े दिल कशी है ,
ना सुन पाते तुम जो कथाएँ ना होती।