ममता की प्यास
ममता की प्यास
बच्चे पंक्षी से पराए हो गए।
अपने-अपने धोसलों में जो गए।
माँ का आँचल फिर से सूना हो गया,
ममता के गाने अधूरे सो गए।
थामकर के अंगुली जिसकी थे बढे,
आज उसके हाथों से भी वो गए।
जिसके सपने पूरे कर जीती रही,
नैनों से बिछुडे, सपन बन खो गए।
ये सिला ममता का कैसे मिल रहा,
दिल के टुकडे, तम के साए हो गए।
काँच सा वो आशियाना, ढह गया,
भुरभुरे से सारे पाए हो गए।
माँ के हैं अब नम नयन, गमगीन मन,
बच्चे अपने थे, सयाने हो गए।
है अकेली आज फिर भी सोचती,
खुश रहें, आबाद अब वो हो गए।
जानती हूँ, अब तेरा जीवन नया,
जीने के साथी पुराने हो गए।
तू चले आना जरा दो पल को ही,
मौत के पल जब ठिकाने हो गए।
देख लूँगी एक पल जो तुझको मैं,
पल में फिर मौसम सुहाने हो गए।
"इन्दु" की किरणें बिखर-सी जाएगी,
मरने के वो भी बहाने हो गए।