फिसला पल वो किधर जाएगा
फिसला पल वो किधर जाएगा
बात मानो मेरी, सब सम्भल जाएगा,
जो भी फिसला है पल, वो किधर जाएगा।
चक्र की भाँति है, जिन्दगी की गति,
वो तो घूमा करे, सब सुधर जाएगा।
कहते हैं बीता पल, खुद को दोहराता है,
जो तू चूका बहर, वो पहर आएगा।
खेल है जीना मरना, हँसे वो खड़ा,
उसकी रहमत मिले, तब सबर आएगा।
धूप छईयाँ-सा जीवन, परेशान ना हो,
आज बिखरा तो क्या, कल सवँर जाएगा।
रात के बाद दिन को तो आना पड़े ,
मेघ छाए भले, फिर सहर आएगा।
जलता है तन बदन, गम ना कर नादां दिल,
वक्त आने पे "इन्दु" इधर आएगा।