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Indu Jhunjhunwala

Abstract

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Indu Jhunjhunwala

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मुक्त जीवन

मुक्त जीवन

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मुक्त गगन है,मुक्त पवन है।

गाँवों का मुक्त जीवन है। 

नहीं यहाँ पर कोई साजिश,

मिलता है जो चाहो, खालिश।


 मेल-मिलाप बडा गहरा है,

हेर-फेर का ना फेरा है। 

प्रेम प्यार का ये मधुवन है।

गाँवों का मुक्त जीवन है। 


मुक्त गगन के पक्षी सारे,

मुफ्त गाय गोरू के चारे।

बहते झरने प्यास बुझाते,

भरे रहें सबके चौबारे। 


साँसो में महके चन्दन है

गाँवों का मुक्त जीवन है। 

तन निर्मल हो ना हो फिर भी,

मन निर्मलता का डेरा है। 


कच्चे-पक्के घर के भीतर,

सबरी-सा प्रीत बिखरा है। 

'इन्दु' स्नेह की यहाँ तपन है

गाँवों का मुक्त जीवन है। 


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