अगली पीढ़ी को जन्म देगा कौन?
अगली पीढ़ी को जन्म देगा कौन?
कितनी जद्दोजहद भरी है ज़िन्दगी
गर्भाधान से पहले ही ग्रहण लगी है ज़िन्दगी,
बेटों की चाहत ने राहें रोक ली बेटियों की,
अंकुरित हो भी गईं तो पल-पल मरती है ज़िन्दगी।
सुनाया गया फ़रमान बेटी है तो
उजाड़ डालो गर्भ से ही इसकी जान।
माँ भी कलपी होगी,तड़पी होगी
धरती के स्वयंभू भगवान से मिन्नतें की
ऊपरवाले से कातर गुहार लगाई।
अनसुना कर दिया ज़माने के बधिरों ने,सृजनहार ने भी।
अजन्मे को जीवनदाता डॉक्टर के सामने कर दिया।
पेशेवर हत्यारे सा वह खड़ा हुआ स्ट्रेचर के पास,
कितना तड़पी होगी,जब कुरेदा गया होगा उसे
औजारों से रेशा रेशा ,कतरा कतरा।
भ्रूण सिमट जाता है,गर्भाशय की दीवार से,
या रक्त वाहिकाओं से,खुद को बचाने के लिए।
या के ये उम्मीद के माँ ही बचा लेंगी
हाथ बढ़ा कर रोक लेंगी जन्म से पहले मरने से।
तिनका तिनका ,अंग प्रत्यंग खंडित किया गया।
कराही तब भी होगी,चींखना चाहा होगा।
पर अतल गह्वर में चींख घुट कर रह गई होगी।
मानव की बर्बरता ने ईश्वरीय सत्ता को दे दी चुनौती।
नष्ट करता जा रहा एक बेटे की चाहत में
धरती को कन्या विहीन नहीं,जननी विहीन कर रहा।
आख़िर बेटियां न होगीं तो तुम्हारी वंशबेल का क्या होगा?
कौन देगा अगली पीढ़ी को जन्म ,,,,,,
क्या तुम सक्षम हो ,अपनी वंशबेल बढ़ाने के लिए
क्या तुम अकेले कर सकोगे,,,
