ऐसे मनी मेरी होरी रे,,,,
ऐसे मनी मेरी होरी रे,,,,
सखी री ऐसे मनी मेरी होरी रे ।।।
नैन मिले फागुन में पिय से
घर भीर बड़ी थी तब मोरी रे।
देख पिया को झुक गई पलकें
झट संवार गए अलकें मोरी रे।
सखी री ऐसे मनी मेरी होरी रे।।।।
देह लाज से दोहरी हो गई
मन बस में न रहे अब मोरी रे।
वो करें मनुहार नैनों में नैना डार
जिया खिंचा जाय उनकी ओरी रे।
सखी री ऐसे मनी मेरी होरी रे।।।।
पास आएं तो लाज राह रोके
दूर जाएँ तो चैना गए चोरी रे।
रंग गई मैं उनके प्रेम रंग में
तन रह जाये भले कोरी रे।
सखी री ऐसे मनी मेरी होरी रे।।।।।
मन रंगाए प्रेम की जोगन
झूमे घर,आँगन और खोरी रे।
टूटा सपना ,आँखें खोली
मन मसोस रह गई गोरी रे
सखी री ऐसे मनी मेरी होरी रे।।।।