बेजान पत्थर
बेजान पत्थर
पत्थर एक बेजान चीज़ है
लोग उसकी कठोरता का
सहज अनुमान नाम ही से लगा लेते हैं।
और तो और कठोर दिल की मिसाल
पत्थर से ही तो दे देते हैं।
फिर भी अनजाने ही ये -पत्थर
हमारे लिए कहीं देव रूप में
पूजनीय हो जाता है
या कहीं ऐतिहासिक इमारत के बतौर
दर्शनीय हो जाता है।
बुत तराश की मेहनत से
बेजान पत्थर भी, आकार ले
सजीव हो उठता है, जब
किसी बुत के रूप में स्थापित होता है।
पत्थर ही घर की नींव को
पुख्ता करता है।
पत्थर ही ग़रीब के ऊँचे- नीचे
बिस्तर को सम करता है,
वही बनता है उसका सिरहाना भी।
और उसी से बनता है उसका चूल्हा ।
फिर भी पत्थर, पत्थर ही रह जाता है।
ठोकर खाने पर लोग झुंझलाकर
पत्थर को पैर से परे कर देते हैं।
राह देख कर, सम्भल कर,
चलने का सबक़ न सीख,
दोष, बेजान पत्थर को ही देते हैं।