हिन्दी भाषा से प्रेम और अपने तथा दूसरों के दर्द ने लेखन और पठन की प्रेरणा दी ।
बदन पर गीले वसन गीली है केशराशि। बदन पर गीले वसन गीली है केशराशि।
सजीव हो उठता है, जब किसी बुत के रूप में स्थापित होता है सजीव हो उठता है, जब किसी बुत के रूप में स्थापित होता है
'बूंद ही बूंद समानी' वाली उक्ति शायद यहीं स्वयं को प्रमाणित करती है। 'बूंद ही बूंद समानी' वाली उक्ति शायद यहीं स्वयं को प्रमाणित करती है।
कंद-मूल,बेर,जामुन ,इमली चुन कर चलती हम रोज़ वन से घर की ओर। कंद-मूल,बेर,जामुन ,इमली चुन कर चलती हम रोज़ वन से घर की ओर।
हो गई नवयुवती सुघड़ सुंदर जब कन्यादान में पति को थमा दी कलाई। हो गई नवयुवती सुघड़ सुंदर जब कन्यादान में पति को थमा दी कलाई।
बैरी चन्दा गगन में घटता-बढ़ता तुम बिन दिन-रात मावस हुए मेरे। बैरी चन्दा गगन में घटता-बढ़ता तुम बिन दिन-रात मावस हुए मेरे।
फिर भोर सुहानी आएगी कालिमा रात की मिट जाने दो। फिर भोर सुहानी आएगी कालिमा रात की मिट जाने दो।
सखी री ऐसे मनी मेरी होरी रे ।।। नैन मिले फागुन में पिय से घर भीर बड़ी थी तब मोरी। सखी री ऐसे मनी मेरी होरी रे ।।। नैन मिले फागुन में पिय से घर भीर बड़ी थी तब...
बची है मकरंद की चंद बूंदें और सुवास भी अभी। बची है मकरंद की चंद बूंदें और सुवास भी अभी।
पूर्णता प्राप्त करनी है तो रिश्ते की गरिमा रखना! पूर्णता प्राप्त करनी है तो रिश्ते की गरिमा रखना!