झरोखों से तुमने मुझे झांका, मेरे अस्तित्व को जाने तुमने किन मूल्यों से आंका। झरोखों से तुमने मुझे झांका, मेरे अस्तित्व को जाने तुमने किन मूल्यों से आंका।
बचपन के झरोखों से ढूंढ निकलोगी मुझे बचपन के झरोखों से ढूंढ निकलोगी मुझे
एक तरफ से शान्त सा आता पानी का बहाव दूसरी तरफ भंवर का रूप ले लेता था एक तरफ से शान्त सा आता पानी का बहाव दूसरी तरफ भंवर का रूप ले लेता था
बचपन के वो पल... मुझे आज भी याद आते हैं...! बचपन के वो पल... मुझे आज भी याद आते हैं...!