यादों के झरोखे
यादों के झरोखे
झरोखों से तुमने मुझे झांका,
मेरे अस्तित्व को जाने तुमने किन मूल्यों से आंका,
सोई हुई चिरनिंद्रा से जब मैं जागा,
तुम्हें पाने के लिए जाने कितना मैं भागा,
मेरे एहसासों को बिना समझे तुम हमसे खफा हो गए,
तन्हाइयों में हमें छोड़ तुम कहाँ खो गए,
ये कदम उठाने से पहले मुझसे कहना चाहिए था,
मेरे दिल की बातों को तुम्हें सुनना चाहिए था,
धुंधली सी सभी यादें आंखों में छा गई है,
प्यार तुम्हारा आज नैनों में अश्क बनकर आ गया है,
प्रतिपल तेरी बैचेनी कानों में कुछ कहती है,
तू इश्क़ बन हर पल मेरे संग दिल में रहती है I