क्षितिज के उस छोर पर
क्षितिज के उस छोर पर
चल रे किश्ती उस ओर पर,
क्षितिज के उस छोर पर।
बागों में जहाँ हरियाली हो,
नाच रही कोई मतवाली हो।
बसंत जहाँ झूम रही हो,
पेड़ो की डाली उसको चूम रही हो।
जिस हवा में खुशबू है फैली,
पंछी जिसपर डेरा है डाली।
जहाँ जुगनू जगमगा रही,
भौंरे उसपर गुनगुना रही।
जहाँ लाली सूरज की बिखरी है,
चांदनी उसपर निखरी है।
चल रे किश्ती उस ओर पर,
क्षितिज के उस छोर पर।

