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Sangeeta Tiwari

Abstract

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Sangeeta Tiwari

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भारत कि प्रथम शिक्षिका (सावित्रीबाई फुले

भारत कि प्रथम शिक्षिका (सावित्रीबाई फुले

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इतिहास के पृष्ठों को उलेट।

महिला शक्ति का लाई हूं उदाहरण।।

करने हेतु नारी को शिक्षित।

किया समाज में जिसने था प्रसारण।।

 ३जनवरी१८३१को हुआ जन्म।


सावित्रीबाई फुले था नाम प्रसिद्धि।

नर कि तुलना में कम नहीं नारी।

महान कार्यों द्वारा जिसने किया सिद्ध।।

पुत्री सत्यवती व खंडोजी नेवैस पाटिल कि।

कहलाई कवियत्री व समाज सुधारक।।

बन देश कि प्रथम शिक्षिका।


नारी जीवन कर दिया सार्थक।।

मात्र ९ वर्ष की आयु में बांधा।

सावित्रीबाई को व्यवाहिक बंधन में।।

शिक्षा ग्रहण करने व कराने हेतु।

जागृत हुई अभिलाषा मन में।।

तोड़ समाजिक बंधन सारे।


 सावित्रीबाई पुस्तक रस में डूबी।।

 गृहस्थ जीवन संग ग्रहण कर शिक्षा।

निभाई समस्त दायित्व बखूबी।।

 फैंक रहा कोई पत्थर काले।


 कोई करे गोबर कि बरसात।।

नारी शिक्षा आवंटन हेतु।

सावित्रीबाई कि ज्यों शुरुआत।।

अपमान का घाव सह लिया मगर।


कदम नहीं उनके रूक पाए।।

लटकाए कांधे पर झोला इक।

शिक्षा प्रदान वह कराती जाए।।

बनकर भारत कि प्रथम शिक्षिका।

समस्त नारियों को दिया शिक्षादान ।।

महात्मा फुले के निधन पश्चात्।


 ज्योतिबा संग दिया महान योगदान।।

जन जन समक्ष भाव प्रकट करने हेतु।

 प्रसिद्ध काव्य संग्रह लिख डाला।।

 लगा रोक क्रूर प्रथाओं में।

 अधंकार मिटा कर दिया उजाला।।

 हौले हौले मेहनत रंग लाई।


परिवर्तित होने लगे विचार।।

लिखित समस्त रचनाओं का।

 होने लगा जन जन में प्रचार।।

विरांगना नारी सावित्रीबाई द्वारा।


विद्यालयों का किया गया निर्माण।।

 मुहिम नारी शिक्षा कि चल पड़ी।


 मिलने लगा नारी को सम्मान।।

अनेक संघर्षों के पश्चात।

 भव्य केंद्र किया गया स्थापित।।

जहां विधवा कर पाएंगी पुनर्विवाह।

व प्रत्येक अछूत हो पाएगा शिक्षित।।

सावित्रीबाई संग ज्योतिबा फुले।


ज्योति से ज्योति जला रहे थे।।

बनकर महान वह समाज सुधारक।

अधंकार वह मिलकर मिटा रहे थे।।

सावित्रीबाई व ज्योतिबा फूले को।

प्राप्त कोई संतान नहीं।।

यशवंतराव नामक बालक अपनाया।


 हो गई कमी पूर्ण वहीं।।

सावित्रीबाई प्रसिद्ध वह नाम।

अनेक क्षेत्रों में सम्मानित जो हुआ।।

दंपति द्वारा किए महान कार्यों को।

 ब्रिटिश सरकार ने भरपूर सराहा।।

घोर महामारी में होकर ग्रसित।


गवाई सावित्रीबाई ने जान।

दे रही थी जन जन को सेवा।

 महामारी से बचाने हेतु प्राण।।

बनकर ऐसे ही समाजसेवी हम ।

ज्यों आज दिखा सके रोशनी।।

 इतिहास संग संग समाज में होगी ।

अमर सावित्रीबाई वह अपनी।।


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