STORYMIRROR

Minal Aggarwal

Abstract

4  

Minal Aggarwal

Abstract

रहस्य रहस्य ही होता है

रहस्य रहस्य ही होता है

2 mins
242

जीवन में 

कुछ ऐसा करें ही नहीं कि 

जिसे रहस्य बनाकर रखने की आवश्यकता पड़े 

कोई बात कभी भी 

एक रहस्य नहीं हो सकती गर

वह खुद के अलावा किसी दूसरे को पता हो 

उस दूसरे को हम कितना भी कहे कि 

उस बात को किसी को बताये नहीं 

उसे छिपाये रखे


किसी को उजागर न करे पर 

यह कभी संभव है कि 

वह बात फिर आगे 

एक आग की तरह ही फैले नहीं

यह तो मनुष्य की प्रकृति है कि 

वह अपने तक किसी बात को 

छिपा कर या 

अपने दिल की तहों में दबाकर नहीं 

रख सकता 


अधिकतर के तो पेट में दर्द होने लगता 

है जब तक कि वह किसी भी बात को 

सारे में बता न लें

उसे हर जगह गा न लें 

बिना बात का एक बतंगड़ 

बना न दें


बात तो कई बार कुछ खास होती ही 

नहीं लेकिन 

एक बार वह कहीं छिड़ जाये तो 

फिर जो बात बनती है 

वह तो वह बात होती ही नहीं 

किसी भी बात को 


ऐसे तरोड़ मरोड़ के 

नमक मिर्च मसाला छिड़ककर 

परोसा जाता है कि 

बात का अर्थ ही बदल दिया 

जाता है 


कोई बात सामने आ भी 

जाये

किसी रहस्य से कभी पर्दाफाश 

हो भी जाये

वह बिना तथ्यों के 


जरूरी नहीं कि सत्य ही हो 

इसीलिये कभी कोई रहस्य 

दुनिया के सामने उजागर हो 

जायेगा 


किसी का भंडाफोड़ हो जायेगा 

इससे बहुत अधिक चिंतित 

नहीं होना चाहिए 

बात जो खुलकर 

सामने आ भी जाये

और सत्य गर हो भी 

और इससे होता हो किसी का 

नुकसान तो 


मोड़ दे फिर उसकी दिशा 

किसी को फिर कहां 

क्या पता है 

कि क्या सच है या 

क्या झूठ है 

रहस्य रहस्य ही होता है


खुला हो 

अधखुला हो 

उजागर हो या 

हो दबा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract