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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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तन्हा सफर

तन्हा सफर

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तन्हा ज़िंदगी के सफ़र बिन तेरे कटते नहीं है....

मिलो तो कभी आके इस सरजमीं पे ......

इश्क़ की राहों में ठोकरें बहुत है.....

तन्हा ज़िंदगी के सफ़र में बिना तेरे सुकून कहां है!


राहें मुहब्बत की तन्हा...

तुम बिन कटते नहीं है...

चले आओ कि ज़िंदगी को तेरी तलब बहुत है....

तन्हां ज़िंदगी में बिन तेरे,रातें अंधेरी बहुत है!


हम तन्हा,तुम तन्हा, ज़िंदगी की हर शाम बिन तेरे तन्हां.....

कैसे बताएं कि क्या गुजरेगी हम पर....

गिरेगी बिजली दिल पर....तन्हां ही मौत मिलेगी....

उस ख़बर की भी क्या होगी....

जो तन्हां तुझे सुनने मिलेगी!


सिंदुरी शाम की रवानगी रात ज़वानी पर है.....

तन्हां ज़िंदगी में तुम्हारे बिना, लिखे नज़्मों का क्या मतलब होगा....

अक्षर - अक्षर तन्हां होगा....

मरे गजलों को कौन सुनेगा....

तन्हां ज़िंदगी तुम बिन मरी आंखों का गुमनाम सपना होगा....

लफ्ज़, मुशायरा शायरों की हर शाम बिन शायरी होगी....

तन्हां ज़िंदगी तुम बिन मरी आंखों से अपनी मौत देखना होगा!


चले आओ कि ज़िंदगी में तन्हा सफ़र कैसे होगा....

गुजारी इंतज़ार की रात आंखों में....

तन्हां ज़िंदगी में बेमतलब सा होगा!


तन्हा लम्हों में जी लेते है

मर के भी ऐ दिल तुझे भूल नहीं पाते हैं

तन्हा जिए तन्हा मरे

लिखे गजलों में तेरा नाम

तुझे मुहब्बत का खुदा समझें!


तन्हा मुहब्बत में इम्तिहान कितना दे...

आ साथ मेरे....

 मेरे हाथों में अपना हाथ दे....

तन्हा न जी सकेंगे.....

ख़ाके कसम खुदा की.....

तेरे इश्क़ में हम मरेंगे!


तन्हा किसी मोड़ पर तुम मिले थे....

तब से लेकर आज तक तन्हा से हैं....

तू पत्थर दिल है मोम बन पिघलता नहीं....

सफ़र ज़िंदगी की तन्हा लम्हों में कटते नहीं है!


तन्हा क्यों चल पड़े इश्क़ की राहों में...

साथ ले ले मुझे भी....

भर कर मुझे अपनी बांहों में...

साथ लेके मुझे अपने....

कोरे सपने संजोने को...

ज़िंदगी की हर दास्तां बयां करने को!

खूबियां तो लाख है मुझमें...

कोई तो हो जिन्हें तन्हा मेरी कमियों से प्यार हो!

लाख शिकवे गिले हो 

मगर इश्क़ रूहानी चाहिए

मुझे अब तन्हा लम्हों की उदासियां नहीं....

तेरे इश्क़ की हर दास्तां रंगी हंसी चाहिए....

तन्हा राहों पे इक तेरा साथ....

हर क़दम पर क़दम साथ तेरा....

 मेरी मुहब्बत,अपने हाथों में मुझे तेरा हाथ चाहिए।।



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