नन्हे छात्र
नन्हे छात्र
नन्ही नन्ही कोपल,
हरे हरे पात हो गए।
विद्या के घर में,
चमन हरियाली छा गयी।।
रास्तों में कूद-कूद,
गलियारों में खेल-खेल।
नन्ही-नन्ही क़दमों से,
विद्या भूमि पावन हो गयी।।
कक्षा की शरारत,
पुस्तकों का बुरा हाल।
चुपली-चुपली बातों में,
गुरूजी का मन खो गया।।
नन्ही सी उनकी लीला,
नन्ही सी सौंदर्य वो।
कुछ पल की ये किलकारियां,
सदैव गुंजायमान हो गयी।।