अकेलेपन के पैमाने को, अपनेपन का एहसास दे गये... अकेलेपन के पैमाने को, अपनेपन का एहसास दे गये...
उछाल दूंगी अपनी तमाम कविताएं पतंगें बनाकर उछाल दूंगी अपनी तमाम कविताएं पतंगें बनाकर
तो कभी उन्हीं रास्तों में कांटे लगाकर , क्यों खुद से ही भटकाती है.. तो कभी उन्हीं रास्तों में कांटे लगाकर , क्यों खुद से ही भटकाती है..
आंधी आये या तूफ़ान आये न हटूं मैं रास्तों से आंधी आये या तूफ़ान आये न हटूं मैं रास्तों से
नन्ही-नन्ही क़दमों से, विद्या भूमि पावन हो गयी।। नन्ही-नन्ही क़दमों से, विद्या भूमि पावन हो गयी।।
मौन थी शब्दों की वाणी, बस आत्मा कहती रही मौन थी शब्दों की वाणी, बस आत्मा कहती रही