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राजेश "बनारसी बाबू"

Drama Romance Fantasy

4  

राजेश "बनारसी बाबू"

Drama Romance Fantasy

आने वाला कल साथ हमारा हो

आने वाला कल साथ हमारा हो

2 mins
340


बनारस के घाट का किनारा हो

हर पल साथ तुम्हारा हो

आने वाला कल हमारा हो

हर पल विश्वास तुम्हारा हो

बाइक पर बैठा रहूं मैं

कांधे पर सर रखा तुम्हारा हो

बनारस की संकरी तंग गलियों में

दिन दुपहरी सन्नाटों के पहरों में 

शरारती बांहों में साथ तुम्हारा हो

मेरे ना हो पाने पर तेरा घबरा जाना

माथे पे चिंता की लकीर तुम्हारा हो

कश्ती पर हम दोनों खोए रहे 

हम दोनों से दूर किनारा हो

उस पार रेत में हम दौड़े खेले

जान बुझ के हार जाना

ये अच्छा खासा प्यार तुम्हारा हो

जब मैं कोई गम में खो जाऊं

तुम्हारे कांधे पर सर रखा हमारा हो

मेरे लिए सर पर दुपट्टा रख

मंदिर में दुआ अर्चना करो तुम

आस्था में विश्वास हमारा हो

सुनहरी चूड़ियां खरीदो तुम

और हाथों में पहनाने का हक हमारा हो

मेरे लिए चोरी चुपके तेरा व्रत रख लेना

हर खुशी में जिक्र हमारा हो

बाते करते करते तेरा रो देना वह भावात्मक भाव तुम्हारा हो

मेरे लिए सजना संवरना 

हर पसंद में मेरा पसंद हो जाना जाने क्यों जिक्र हमारा हो

सजदे हर पहर तुम करती मेरे लिए

हर जन्म में साथ हमारा हो

जब संकट के बदली छा जाए

सीने में छुपा सर हमारा हो

बैठ मैं गंगा की स्वच्छ लहरे को देखूं

चुपके तुम्हारी आंखें मुझे निहारे ऐसा कल हमारा हो

सामने तुम यूं ही बैठे हमें तकते रहो

आंखों में आंख तुम्हारा हो

मैं तुम्हारे गोंद में खोया रहूँ हरदम 

मेरे बालो में फेरता हाथ तुम्हारा हो

जब भी मैं तुम्हारे खूबसूरती को कैमरे में 

कैद करता 

जानबूझ के तेरा मुंह टेढ़ा मेढ़ा करना 

ये शैतानी हरकत तुम्हारा हो

मौसम यूं ही बेईमान रहे 

घाट पर भी सुनहरी शाम रहे

काली साड़ी में लिपटी रहो तुम

भीगी लट में यूँ ही उलझी रहो तुम

कयामत सी यूँ ही दिखती रहो तुम

हर श्रृंगार में नाम हमारा हो।।



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