तभी तो होता है प्रलय का आगाज काश कि गगन मुस्कुराता रहे तभी तो होता है प्रलय का आगाज काश कि गगन मुस्कुराता रहे
इतना तू उस मैं से कर, मोह माया इस मैं में बस। इतना तू उस मैं से कर, मोह माया इस मैं में बस।
अजीब लोग थे वहाँ के, जैसे हों आदिमानव... अजीब लोग थे वहाँ के, जैसे हों आदिमानव...
तेरी शरण में लीन हो जाऊं। तेरी शरण में लीन हो जाऊं।
आज फिर जश्न मनाओ छलिया आएगा मोह की आग लगाएगा लीलायें दिखाएगा.. आज फिर जश्न मनाओ छलिया आएगा मोह की आग लगाएगा लीलायें दिखाएगा..
फिर भी उनके अधिकारों का हनन हो रहा है ! फिर भी उनके अधिकारों का हनन हो रहा है !